कुछ खवाब तेरे मेरे होगये
कुछ जस्बात दिल के बयां होगये
ऐसी सी खुली चाहत तेरी फिजाओं मै
रंगों मई भी नए रंग छाडे
तेरी ही निशानी दिखे मेरी अद्दयों मै।
कुछ बातें जाके मिली तुम्हारे प्यार से
चोट कुछ और गहरी हुई इश्क-इ-इंतज़ार से
आपके ही खवाब मिलेंगे मेरी निगाहों मै
इश कदर दुबे है दुनिया मै तुम्हारी
तेरी ही निशानी दिखे मेरी अद्दयों मै।
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wah wah..
ReplyDeleteऋचा जी, आपके डिजाइंस में और आपकी कविताओं में बने दृश्यों में 'स्पेस' का जो सामंजस्य दिखता/महसूस होता है, वह संवेदित करता है |
ReplyDeleteThanks a lot Sandeep
ReplyDeleteaapka bahut bahut sukriya Mukesh ji... jo apne itna samay diya and itne ache vichar pragat kiye. thanks a lot :)
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